URTICARIA POEM IN HINDI on Oct 01, 2014, 10 am
POEM ON URTICAIRA
01 Oct is being observed as International Urticaria Day world wide for the very first time
A small poem composed by me just now is posted below
लाल चकत्ते आते हैं
हम को बड़ा सताते हैं
Symptomatology
कोई कहता पित्त है उछ्ली
कोई कहे छपाकी है
कितने जतन किये हैं हमने
कुछ भी रहा न बाकी है
जितना हम खुजलाते हैं
ये उतना बढ़ते जाते हैं
लाल चकत्ते आते हैं
हम को बड़ा सताते हैं
Etiology ( only partly covered)
अण्डा मछली दूध मूंगफली
सभी बंद कर डाले हैं
फिर भी रोज़ उभर उठते हैं
बड़ी मुसीबत वाले हैं
बाहर का कुछ खाने से भी
हम बेहद घबराते हैं
लाल चकत्ते आते हैं
हम को बड़ा सताते हैं
Pathogenesis
mast कोशिका मस्त हुई हैं
रक्त की नलियाँ खोली हैं
हिस्टामिन बाहर फेंका है
जो करता हँसी ठिठोली है
chymase और tryptase भी
मिल कर उपद्रव फैलाते हैं
लाल चकत्ते आते हैं
हम को बड़ा सताते हैं
Investigations
नींद हमारी दूभर हो गई
मूड हुआ धुंधला धुँधला
कितनी जाँच करा बैठे हैं
कारण फिर भी नहीं मिला
जहाँ जहाँ हम जाते हैं
सब नूतन जांच कराते हैं
लाल चकत्ते आते हैं
हम को बड़ा सताते हैं
Management
जब जब गोली खाते हैं
ये गायब हो जाते हैं
जैसे असर खत्म होता है
वापिस ये आ जाते हैं
गोली बंद नहीं है करनी
सभी यही बतलाते हैं
लाल चकत्ते आते हैं
हम को बड़ा सताते हैं
Message
नहीं भयानक ये बीमारी
बात यही समझानी है
सारी चिंता दूर हटा कर
दवा नियम से खानी है
गाँठ बाँध लो बात ये अपनी
"वर्मा" ये समझाते हैं
लाल चकत्ते चले गए सब
अब चैन की बंसी बजाते हैं
लाल चकत्ते चले गए सब
अब चैन की बंसी बजाते हैं
कर्नल राजेश वर्मा
Col Rajesh Verma
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Col Rajesh Verma
MD, DNBE, MNAMS
Prof & HOD(Derm), AFMC, Pune
Senior Adviser (Derm & STD)
Command Hospital (Southern Command)
Pune 411040
Phone: 020- 2602 6108 Mob :09823536
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